उस दिन मां को बुखार तेज रहा । ’’बुखार जूड़ी से शुरू हुआ है, ’’ मेरे डाक्टर पिता ने अपने पेशेवर निरीक्षण के बाद थर्मामीटर और स्टेथोस्कोप शशि मौसी को सौंप दिए, ’’क्वार्टन मलेरिया लगता है । कुनैन या उसका कोई सिंथेटिक डेरिवेटिव दे देना ।’’ डाक्टर न होते हुए भी शशि मौसी दवाओं की अच्छी जानकारी रखती थीं । मेरी नानी की असामयिक मृत्यु के उपरांत जहां मेरी मां ने अल्पायु में घरोपयोगी गृहविज्ञान में निपुणता प्राप्त की थी, वहीं शशि मौसी का पंख-विस्तार चिकित्सा विज्ञान तक जा पसरा था । पुत्र-विहीन रही थीं और तदनंतर भी शशि मौसी