वे बहत्तर घण्टे

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मेरा यह प्रयास समर्पित है श्रृद्धेय श्री वेणुगोपाल जी बांगड़ को जिनकी पितृव्य स्नेह स्निग्ध छाया ने प्रदान किया है हर पल संरक्षण और सम्बल आत्म-कथ्य एक उद्योगपति परिवार में जन्म लेने के कारण और एक उद्योगपति के रुप में जीवन व्यतीत करने के कारण मैंने एक उद्योगपति के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव तथा एक उद्योग के संचालन में रास्ते में आने वाले पर्वतों और खाइयों को देखा और उन्हें पार किया है। जब मैं इक्कीस साल का