तू मेरी जिंदगी हैं - भाग - 8

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तू मेरी ज़िन्दगी हैं भाग 8 विशाल ने डोर बैल बजाई।दरवाजा सावित्री देवी ने खोला।विशाल को देखकर सावित्री देवी को कुछ हैरानी हुई पर संभलकर बोली - "आओ बेटा।" विशाल अंदर आकर सोफे पर बैठ गया। "मुझे खुशी के जाने का बेहद अफ़सोस है।मुझे हैरानी है कि उस मासूम सी लड़की की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है,को किसी ने उसकी हत्या क दी।" "आंटी ,यही तो मैं भी जानना चाहता हूं।इसलिए आपके पास मदद मांगने आया हूं।" "बोलो बेटा,मै क्या मदद कर सकती हूं?" "आंटी,मै खुशी के पिछले जीवन के बारे मेकुछ जानकारी हासिल करना चाहता