साहेब सायराना - 15

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दिलीप कुमार को "अभिनय सम्राट" कहा जाता था। ये सवाल उठाया जा सकता है कि आख़िर अभिनय सम्राट कोई किस तरह होता है। सिनेमा में कोई न कोई कथानक होता है, और उसे जीवंत करने के लिए कुछ पात्र होते हैं। आपको उन पात्रों का ही तो अभिनय इस तरह करना होता है कि वो स्वाभाविक लगे। देखने वालों को ऐसा लगे कि आप आप नहीं, बल्कि वो पात्र ही हैं। उन्नीस सौ सड़सठ में एक फ़िल्म आई -"राम और श्याम"! इसमें दिलीप कुमार दोहरी भूमिका में थे। उनका एक रूप खल पात्र का था, और दूसरा अच्छे आदमी का।