कैथरीन और नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया - 11

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भाग 11 कुंभ नगर इन दिनों भक्ति, साधना और संगीत की रसधार से समस्त श्रद्धालुओं को सराबोर कर रहा था। " चलो रे मन गंगा यमुना तीरे" बैनर तले होने वाले संगीत के भव्य कार्यक्रम को देखने के लिए लाखों की भीड़ इकट्ठा हो जाती। संगीत की धारा ऐसी बहती मानो आकाशगंगाएं धरती पर उतर आई हों। मशहूर शहनाई वादक उस्ताद फतेह अली खान की शहनाई की धुन पर जनसमूह आँखें मूँदे झूम रहा था। अनूप जलोटा के गाये भजन, हुसैन बंधु, हरिप्रसाद चौरसिया, तिज्जन बाई द्वारा प्रस्तुत कला की बानगियों ने कुंभनगर को संगीत सरिता में डुबो दिया था।