टेढी पगडंडियाँ - 38 किरण को अस्पताल से दूसरे दिन शाम को छुट्टी मिल गयी और वह कोठी लौट आयी । वह बेहद खुश थी । अब वह अकेली नहीं थी । उसका अकेलापन बाँटने उसका अपना अंश उसकी बगल में लेटा था । हाँ थोङी थोङी देर में उसे अपनी माँ , अपना मायका गाँव याद आ जाता और वह उदास हो जाती । सुरजीत यह सब देखती और एक ठंडी साँस लेकर रह जाती । बच्चा बिल्कुल निरंजन का ऱूप था । वही ऊँचा माथा , बङी बङी आँखें , चौङे कंधे , लंबी बाहें ,