अगर तथाकथित जुमलेबाज़ी..लफ़्फ़ाज़ी या फिर चुटकुलों इत्यादि के उम्दा/फूहड़ प्रस्तुतिकरण को छोड़ दिया जाए तोवअमूमन कहा जाता है कि किसी को हँसाना या हास्य रचना आम संजीदा या दुख भरी रचनाओं के अपेक्षाकृत काफ़ी कठिन काम है। यही काम तब और ज़्यादा कठिन और दुरह हो जाता है जब आप एक पूरी सदी की चर्चित रचनाओं को छाँटने एवं एक साथ संजोने का कार्य अपने जिम्मे ले लेते हैं। दोस्तों..इस कठिन कार्य को अपनी मेहनत..लगन और श्रम के बल पर मुमकिन कर दिखाया है हमारे समय के प्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चन्दर जी ने। जिनके संपादन में 2008 में आए इस संकलन