अध्याय 15 उस सुबह के समय अपने घर के बैठक में बैठे नकुल को देखकर उसका चेहरा थोड़ा बदला फिर स्थिर हो गया। "क्या बात है नकुल इतनी सुबह आए हो?" नकुल एक दीर्घ श्वास छोड़ते हुए गर्दन को ऊंचा किया। "तुम्हारी अम्मा अब कैसी है?" "नो प्रॉब्लम... शी इज कंफर्टेबल....! पर तू क्यों कुछ लुटा दिया जैसे लग रहा है?" "सचमुच में लुटा के ही आ रहा हूं।" "क्या बोल रहा है रे?" "मेरे लिए एक ही खुशी थी। वह भी अभी नहीं है ऐसा हो गया...." कहकर नकुल अपने दोनों हाथों से चेहरे को ढक लिया। रोने से