बागी स्त्रियाँ - (भाग सत्ताईस)

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मीता आजकल आत्ममनन के दौर से गुजर रही है।अपने पूरे अतीत को उसने खँगाल डाला है।आखिर वह है कौन,चाहती क्या है?वह साक्षी भाव से खुद को देख रही है ।मानो वह अपनी किसी कहानी की नायिका को देख रही हो कि आखिर वह कौन सा मनोविज्ञान है जो उसे संचालित कर रहा है?उसका व्यक्तित्व कैसे निर्मित हुआ?वह सामाजिक जीवन में असफल क्यों रही है?क्यों उसे सच्चा प्यार नहीं मिला?उसने क्यों सही निर्णय में देर की? एकाएक उसकी आँखों के सामने एक दूसरी ही मीता आ खड़ी हुई और अपनी कहानी कहने लगी। मैं मीता हूँ।सहज, सरल ,सुंदर,पर मुझे कोई प्यार