(41)गोल छेद में लगी ग्रिल से रौशनी अंदर आ रही थी। शिवराम हेगड़े उस आती हुई रौशनी को ध्यान से देख रहा था। इस रौशनी को देखकर वह रोज़ सुबह खुद को इस कैद में आशावान रखने की कोशिश करता था। लेकिन आज अंदर आती हुई रौशनी उसके मन को अशांत कर रही थी। उसे इस कैद में बहुत समय हो गया था। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ था। उसे तो लगता था कि उसके और सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह के गायब होने का शक सीधा दीपांकर दास पर जाएगा। एसपी गुरुनूर कौर उसे और शुबेंदु को