मैं तो ओढ चुनरिया - 37

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  मैं तो ओढ चुनरिया   37   धीरे धीरे मेरी सारी सहेलियाँ शादी करवा कर अपनी ससुराल चली गयी थी और येन केन प्रकारेण अपनी ससुराल में सैट होने की कोशिश में लगी थी । यह वह समय था जब लङकियों की शादी पंद्रह साल से अट्ठारह साल के बीच कर दी जाती थी । वर का मात्र कुल गोत्र देखा जाता था या खानदान की प्रतिष्ठा । वर की आयु , आय या शिक्षा का कोई महत्त्व्र न था । यह मान लिया जाता था कि खानदानी लोग है । वहाँ लङकी को खाने पहनने की कोई कमी