रंजना जायसवाल की कविताओं में स्त्री- पराधीनता की अभिव्यक्ति----शोध छात्रा-क्षमा रंजना जायसवाल का नाम आज के स्त्री लेखन में बड़ी तेजी से उभरकर आया है। रंजना स्त्री के मन के अंदर झांकती हैं। उसके मन की सोच, उसकी आशा, उसकी आकांक्षा सबका चित्रण करती हैं। रंजना स्त्री -मन को बड़ी संजीदगी से प्रस्तुत करती हैं। इनकी कविताएँ समाज में स्त्री की स्थिति को स्पष्ट करती हैं। जैसे-- ‘‘स्त्री जिंदगी भर ढूँढ़ती है सिर छुपाने की जगह और अंत तक नहीं मिलती अपनी हथेलियों से बेहतर जगह उसे।’’1 वाकई स्त्री जब शिशु होती है तभी से उसे पराया मान उसके साथ वैसा ही