अदालत परिसर में काफी गहमागहमी थी लेकिन अदालत कक्ष में नीरव शांति थी जहाँ नृशंस हत्या के एक आरोपी की सुनवाई चल रही थी। सरकार द्वारा मुफ्त वकील दिए जाने के प्रस्ताव को मुस्कुरा कर नकारते हुए मुजरिम गोपाल ने कहा, "हुजूर ! मुझे अपना गुनाह पता है और उसका अंजाम भी पता है लेकिन मुझे कुछ कहना है ...और मैं समझता हूँ अपनी बात कहने के लिए किसी वकील की जरूरत नहीं मुझे ! अगर आप इजाजत दें तो मैं शुरू करूँ ?" जज साहब की गंभीर वाणी कक्ष में गूँजी, " इजाजत है !" "शुक्रिया हुजूर !" कुछ