पारुल टेबल पर से फर्स्ट एड बॉक्स लेते हुए भागते हुए फिर से बालकनी की ओर जाती है। अविनाश अभी भी वह जैसी हालत में छोड़कर आई थी वैसे ही बेहोश पड़ा था। पारुल जमीन पर पड़े कांच के टुकड़ों से बचते हुए अविनाश के पार आकर बैठती है। वह अविनाश के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए... खून से लपालप पट्टी निकलने की कोशिश करती है। अविनाश को कुछ ज्यादा ही चोंट लगी थी । इसीलिए शायद वह इस हालत में भी दर्द की वजह से उसके चेहरे पर थोड़े भाव आ रहे थे। पारुल आहिस्ता आहिस्ता पट्टी