लावण्या - भाग 10

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लावण्या दर्द में थी,,,, ना कोई बचाने वाला था ना कोई संभालने वाला,,,,,!!! लावण्या ने अब इसे ही अपनी किस्मत मान लि थी। विक्रांत के यह रूप देख कर उसको इतना तो अंदाजा लग गया था कि ,,,,,जब तक वह है उसके पास जब तक उसका यही हाल होने वाला है,,,! उसकी आँख खुली उसने घड़ी में देखा तो 11:00 बज रहे थे,,,,,,उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था,,,, उसने भी जल्दी से अपने आप को ब्लैंकेट से ढका,,,,,,, उसकी नजर सामने आईने पर गई,,,, गले से लेकर सीने तक पूरे शरीर पर विक्रांत के दांतों के निशान