तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -24) आदित्य की जलन

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पंखुडी किसी तरह चलते हुये कुछ दूर पर आती है तभी उसका ध्यान सामने खड़े रौनक पर जाती है जो सारंगी से किसी बात पर लड़ रहा था। पंखुडी गुस्से से उसके पास आते हुये पीछे से बाल पकड घुमा देती है। रौनक -" आआआआआ ,,, क्या यह चुडैल कम थी क्या जो तुम भी आ गयी।" पंखुडी -" आज तो मन कर रहा है भाई आपको इतना मारू की ,,,,, की आप चुडैलो के देश पहुंच जाओ।" रौनक कराहते हुये -" आ ,,,,,आ,,,, तुम दोनो के रहते मुझे चुडैलों के देश नही जाने की जरुरत ,,, तुम दोनो तो