वेश्या का भाई - भाग (२०)

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माई की कहानी सुनकर सबका मन द्रवित हो आया और तब रामजस बोला.... तो ये है आपके विजयलक्ष्मी से भाड़ लगाने वाली माई तक के सफर की कहानी,महलों में रहने वाली ऐसे दर-दर की ठोकरें खाती रही और इस पापी समाज को जरा भी दया ना आई,वो पति जिसके सहारे एक औरत अपना सबकुछ छोड़कर उसके पास आती है और वो गैरों की बातों में आकर उसका निरादर करके घर से निकाल देता है,यहाँ तक जन्म देने वाले बाप से भी एक बार बेटी का दर्द पूछा ना गया,छी...घिन आती है ऐसे लोगों पर जो समाज की दुहाई देते रहते