बसंती की बसंत पंचमी - 9

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श्रीमती कुनकुनवाला अब देखते देखते अपनी सब सहेलियों की मुखिया बन गईं। वो फ़ोन पर सबको समझाती थीं कि देखो, मैंने तो बाई के जाने के बाद फ़िर कोई काम वाली बाई रखी ही नहीं, अपने हाथ से ही सब काम करती रही, इसीलिए तो आज मुझे किसी का एक रुपया भी नहीं देना, और आप लोगों ने लॉक डाउन लगते - लगते भी खोज- खोज कर नई बाई रख ली... तो अब भुगतो। दो उसे अब पूरे छः महीने की पगार।सबके मुंह पर ताला लग गया।अब यह तय किया गया कि जब भी अनलॉक होने के बाद सबका इधर-