बसंती की बसंत पंचमी - 7

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श्रीमती कुनकुनवाला के ज़रा सा कानों पर ज़ोर देते ही उनकी किस्मत ने भी उनका साथ दिया। शायद हवा से जॉन के कमरे की साइड वाली खिड़की थोड़ी खुल गई। अब उसकी आवाज़ उन्हें बिल्कुल आराम से सुनाई दे रही थी। मज़े की बात ये कि उस दूसरी खिड़की को जॉन ने बंद भी नहीं किया। बंद क्यों करता, अब मम्मी श्रीमती कुनकुनवाला उसे दिख तो रही नहीं थीं। वो तो दूसरी ओर की खिड़की पर थीं। और अब जाकर श्रीमती कुनकुनवाला को अपनी शंका का समाधान मिला। वो कई दिनों से बेचैन थीं न, कि लड़के इतनी इतनी देर तक आपस