बसंती की बसंत पंचमी - 1

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ये दुख बरसों पुराना था। ये न मेरा था और न तेरा। ये सबका था। हर दिन का था। हर गांव का था। हर शहर का था।नहीं- नहीं, ग़लती हो गई। शायद गांव का नहीं था, केवल शहर का था। जितना बड़ा शहर, उतना ही बड़ा दुःख।ऐसा नहीं था कि इस दुख पर कभी किसी ने ध्यान न दिया हो। लोग ध्यान भी देते थे, और इससे बचने के रास्ते भी खोजते थे। यहां तक कि लोग इस पर लिखते, इस पर कविता कहते, इस पर फ़िल्म भी बनाते।फ़िल्म चल जाती, कविता हिट हो जाती, किताब खूब सराही जाती, पर