तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -17) - इश्क़ - ए - इजहार

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आदित्य और ममता अभी बात ही कर रहे थे की उनकी बातें सुन राजेस्वरी वहाँ आ जातीं है जिनको देख दोनों एकदम खामोश हो जाते हैं। राजेस्वरी -" का हुआ चुप काहे हो गये तुम लोग ,,,, और तू यहां बैठ पटर पटर कर रही है जा देख रसोई मे क्या क्या हुआ है।" अभी ममता उठ कर जाने वाली ही थी की रौनक आ जाता है उसके हाथ मे एक लिफाफा था। रौनक आदित्य से -" यह ,,,,।" तभी बीच मे राजेस्वरी बोलतीं है -" इमे का है बबुआ।" रौनक -" चाची शहर से आदित्य के दफ्तर से कोई