आदित्य वहाँ से हंटर लिये तालाब की तरफ आ गया। वो थोड़ा गुस्से में भी था और उदास भी। उसने अभी भी रात के ही लोवर टी शर्ट पहन रखी थी और बाल भी बिखरे बिखरे से थे। आँखे एकदम खाली थी। वह गाड़ी से उतर तालाब किनारे एक पत्थर पर बैठ तालाब मे पत्थर फेंक रहा था। उसके पीछे पीछे रौनक भी आता है और अपनी गाड़ी रोक उसके बगल मे बैठ जाता है। रौनक -" क्या बे आज तो एकदम छा गये गुरु।" आदित्य उसकी तरफ असमंजस से देखते हुये -" क्यो ऐसा क्या हुआ।" रौनक - "