सरजमीं - भाग(२)

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फ़रजाना तो अपने रास्ते चली गई लेकिन वो शख्स बुत सा बना तब तक फरज़ाना को देखता रहा जब तक कि फ़रजाना उसकी आँखों से ओझल ना हो गई..... फ़रजाना ने बाज़ार से सौदा खरीदा और अपने घर चली आई..... और फिर शाम के वक्त दरवाजे की घंटी बजी,फ़रजाना ने ही दरवाजा खोला,देखा तो वही शख्स खड़ा था जिसे सुबह फऱजाना की स्कूटी से टक्कर लग गई थी,फ़रजाना ने उसे देखा तो गुस्से से बोल पड़ी..... गुस्त़ाखी माफ हो जनाब! लेकिन सुबह हमने आपसे माँफी माँग ली थी और ये कहाँ की श़राफ़त है कि आप शिकायत