कर्तव्य - 12

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कर्तव्य (12) उदास बैठे भैया बहुत ही गहरी सोच में डूब गये ,उनके सामने पुराने दिन चलचित्र की तरह घूमने लगे ।अम्मा की बहुत याद आ रही थी । अम्मा उनके लिए रात को ही पराँठे बना कर रख दिया करतीं, उन्हें बड़े प्यार से जगाती। अपूर्व भैया पिछली बातें सोचने लगे । जब मैं सुबह सो कर उठता,फिर दैनिक क्रिया से निवृत्त होता तो मुझे सुबह सवेरे ही भूख लग जाती , मैं मॉं से कहता “मुझे भूख लगी है तो वह जल्द ही रात के रखे हुए बासी पराठे