स्टेपल्ड पर्चियाँ - प्रगति गुप्ता

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कभी अख़बारों में छपी चंद गौर करने लायक सुर्खियाँ या तमाम मीडिया चैनल्स की हैडिंग बन चुकी कुछ चुनिंदा या ख़ास ख़बरें हमारे मन मस्तिष्क में कहीं ना कहीं स्टोर हो कर अपनी जगह..अपनी पैठ बना लेती हैं और जब तक ज़रूरत ना हो..बाहर नहीं निकलती। इसी तरह हमारे आस पड़ोस में घट चुकी या घट रही कुछ काबिल ए गौर घटनाएँ अथवा कुछ अलग तरह के नोटिसेबल किरदार भी सहज ही हमारे ध्यानाकर्षण का केंद्र बन..हमारे अवचेतन मन में कहीं ना कहीं बस जाते हैं और वक्त ज़रूरत के हिसाब से तब बाहर निकलते हैं जब हम जैसे लेखकों