कृष्णा घनश्याम जी को लेकर हवेली पहुंचता है। हवेली के गेट के अंदर पहुचते ही जीप रुकती है उसमे से कृष्णा पहले नीचे उतरता है फिर एक आदमी घनश्याम जी के कुर्ते का कॉलर पकड़ उन्हे भी नीचे उतारता हैं । घनश्याम जी को देखते ही भान प्रताप का गुस्सा फुट पड़ता है। भान प्रताप -" तुम्हरि इतनी हिम्मत कैसे हुई हमारी आज्ञा की अवहेलना करने की।" घनश्याम जी घुटनों के बल उनसे कुछ दर बैठ हाथ जोड़ते हुये -' सरकार हमशे कौनसी गलती हो गयी।" इसपर राजेस्वरी देवी सामने आते हुये -" काहे रे भुल गया का ,,, की