तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -10) - अस्मिता आम के पेड

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आदित्य - "भीग कर आँखो से जो बही रात भर वो ग़ज़ल हमारे दिलों पर असर कर गयी लोग पत्थर का दिल हमको कहते थे पर एक मुस्कान पत्थर मे घर कर गयी थे बड़े चैन से हम कोई गम न था, कट रही थी जवानी सुकूँ से बहुत वो नजर कुछ मिला कर के ऐसे गयी जिन्दगी को इधर का उधर कर गयी।। उसकी बात सुन रौनक बोलता है -" अरे यार तू तो पूरा आशिक बन गया है ..... वैसे तू अस्मिता को बतायेगा नही क्या की तू उससे प्यार करता है।" आदित्य सोचते हुये बेफिक्री से -"