क्षितिज (काव्य संकलन) - 4

  • 5.9k
  • 1
  • 2.6k

प्रतिभा प्रतिभा नही होती है परिचय की मोहताज वह उभरती है सामने आती है, समय और भाग्य के कारण उसके सामने आने में हो सकता है विलम्ब लेकिन जहाँ होती है प्रतिभा वहाँ होती है रचनात्मकता वहाँ होता है सृजन प्रतिभा ईश्वर द्वारा मनुष्य को प्रदत्त प्राकृतिक सौन्दर्य है अनुकूल वातावरण में हेाता है इसका विकास और यह खिलता है। इसका रूप औरों को देता है प्रेरणा और इसकी सुगन्ध चारों ओर बिखरकर बिखराती है प्रसन्नता। अंधकार सुबह हुई और जाने कहाँ चला गया अंधकार। चारों ओर फैल गया प्रकाश । अंधेरे को हराकर विजयी होकर उजाला