द एजेंटस - 4

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गज़ब का है दिन सोचों ज़रा दिव अपने सपने में मस्ती करता ही है की तभी वह अपने पलंग से गिर जाता है और धम्म सी आवाज़ आती है। फिर दिव अपने सर को सेहलाता है और फिर अपनी आँखे खोलता है देखता है अरे ये तो सुबह हो चुकी है , सिकंदर अपने कमरे के बाथरुम से नहा - धो के निकालता है और कमरे की अलमारी से ब्लैक जीन्स और सफ़ेद रंग की शर्ट पहनता है । विक्रम तो बिलकुल तैयार हो के निचे हॉल में बैठा सबका इंतजार कर रहा था , शिवा और अशोका भी तैयार