बदलता परिवेश

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इस बदलते हुए परिवेश में हर इंसान बदल जाए, यह ज़रूरी नहीं। जो बात सही ना लगे उसे स्वीकार कर पाना भी संभव नहीं । कुछ ऐसा ही था गांव में रहने वाले मध्यम वर्ग के पुण्य और पवित्रा का मन भी। उनकी एक प्यारी सी बेटी थी आकांक्षा । पुण्य अपने गांव के इकलौते स्कूल में अध्यापक के तौर पर कार्यरत थे। उन्हीं की मेहनत के कारण गांव में यह स्कूल खुल पाया था। धीरे-धीरे पहली कक्षा से बढ़ते बढ़ते 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव के इस स्कूल में संभव हो पाई थी। आकांक्षा भी उन्हीं के स्कूल में पढ़ती थी । वह और