स्त्री ........(भाग-38)उनकी बात माननी पड़ी और हम घर आ गए.....गेट फूलों से सजा हुआ था और गेट से लेकर घर की चौखट तक फूल बिछे हुए थे। बहुत सुंदर लग रहा था सब कुछ और अविश्वसनीय भी.....चौखट पर गृह प्रवेश की तैयारी हो रखी थी। माँ और केयर टेकर जिन्हें सोमेश जी ममता कह रहे थे....मेरी आरती उतार रहे थे। कलश को गिरा मैंने अपना पैर अंदर आलता के थाल में रखे वहाँ सफेद चादर बिछी थी। मैं उस चादर पर पैर रखती हुई अंदर चली गयी....। अंदर माँ ने अपने पास सोफे पर बिठाया....तब तक चाय नाश्ता आ गया।