ताश का आशियाना - भाग 13

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बनारस की वो मनमोहक सुबह, गंगा के शितल जल से सुर्य स्नान करके खुदकी दमकती शक्ल पूरे वाराणसी को दिखा रहा था।दूसरी तरफ आ ! मेरा गला रागिनी का गला पूरी तरह सूख रहा था अब कुछ देर बाद गला स्वर्ग सिधार जाता।रागिनी का आक्रोश सुनते ही, सिद्धार्थ की जो भीक मिली नींद थी वह भी टूट गई।अब तक सिद्धार्थ रागिनी के साथ उसके बगल में ही सोया था यह उसे समझ नहीं आया लेकिन जैसे ही चादर सिर से हटी रागिनी कंठ दान देकर चिल्ला उठी। How dare you? और इतना कहते ही, एक किक कृतज्ञता का आभार प्रकट करने