सरस प्रीत के रचनाकार सुरेश पाण्डेय सरस । समीक्षात्मक टिप्पणी रामगोपाल भावुक सुरेश पाण्डेय सरस की कृति सरस प्रीत सामने है। सरस मन का स्वप्नों भरा संसार जब उजड़ता है तब उसका वेदना से भरा हृदय पिघलकर बहने लगता है, उससे जो धारा प्रवाहित होती है वह सभी के लिये कल्याणकर ही होती है फिर कवि हर प्रतिमा के सामने नमन नहीं करता- मेरा वह मन नहीं कि हर प्रतिमा के आगे नमन हो गया। कवि ने काँटों से प्यार किया है तभी वह कह पा रहा है- फूलों से प्यार सभी