वो अस्मिता के कान के बिल्कुल करीब आकर बोलता है- ख्वाबो में, जज्बतो में बस गयी हो मेरे यूँ धड़कनो मे समा गयी हो मेरे धरा और फलक बन गयी हो मेरी हाँ तुम मोहब्बत बन गयी हो मेरी । अस्मिता की तो सांसे ही अटक गयी वो जल्दी से मुड़ कर देखती है की कौन है लेकिन वहा कोई नहीं था वो अचानक से बहुत डर जाती है और दौड़ कर घर के अंदर भाग जाती है जिससे उसके एक पैर की पायल वही गिर जाती है। वो पेड के पीछे छुपा इन्सान बाहर आता है और पायल उठा