मठाधीश छात्रावास के तरफ जितना आगे बढ़ रहे हैं उतना ही उनके मन में हलचल और बढ़ रहा है । इस कोहरे में भी वह स्पष्ट देख सकते हैं कि छात्रावास के बाहर आंगन में भिक्षुओं ने भीड़ लगा रखा है । उनके वहां पहुंचते ही भिक्षुओं का भीड़ दो भागों में बांट कर उन्हें अंदर जाने कक्ष में जाने का रास्ता देने लगे तथा वहां उपस्थित सभी ने उन्हें झुककर अभिवादन किया । केवल एक ने ऐसा नहीं किया , कक्ष के कोने में वह पहले से ही सिर झुकाकर खड़ा है । अब आचार्य सूर्यवज्र आगे आए और