अनजान रीश्ता - 90

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पारुल थकावट की वजह से बेड पर जाते ही सो गई थी। उसके चेहरे पर जो सुकून दिख रहा था शायद ही आज कल देखने को मिलता था। आजकल मानो जैसे सुकून से उसका दूर दूर तक का कोई नाता नहीं था। अभी जो भाव पारुल के चेहरे पर उमड़ रहे है वह शायद ही होश वाली हालत में देखने को मिलते या फिर यूं मिलते ही नहीं। आज कल तो मानो परेशानी के साथ पारुल का सात जन्मों का नाता बन चुका है। कहीं से भी उसे ढूंढ लेती है। अभी पारुल मानो अपनी सपनो की दुनिया में खोई