अनजान रीश्ता - 88

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पारुल प्लेट को प्लेटफार्म पर रखकर,सीढ़िया चढ़ते हुए भागकर कमरे में चली जाती है। वह रुम का दरवाजा बंद करके उसके सहारे बैठ जाती जाती है । उसका दिल जोरो से धड़क रहा था । वह धड़कते दिल पर हाथ रखते हुए उसे काबू करने की कोशिश कर रही थी। पर उसका दिल और भी जोरो से धड़क रहा था। वह भी उस इंसान के लिए जो सिर्फ उसके साथ सिवाय नफरत के और कोई रीश्ता नहीं रखना चाहता था । ना ही पारुल कोई रीश्ता रखना चाहती थी । पर फिर आज अविनाश के इतना करीब पाकर फिर से