पारुल सेम से ध्यान हटाते हुए आवाज वाली दिशा में देखती है लेकिन जब उसका ध्यान अविनाश पर पड़ता है।तो डर का मारे पूरे शरीर में सिरहन दौड़ती है । अविनाश की आंखे पहले से बिल्कुल बदल गई थी। मानो अभी अगर कोई भी उसके सामने आया तो वह उसे जैसे जिंदा जमीन में गाड़ देगा । पारुल का गला सुख रहा था। वह होठ पर जीभ फेरते हुए होठ जो की डर की वजह से सुख रहे थे उसे नर्म बनाए रखने की बेकार कोशिश करती है। अविनाश का ध्यान एक पल के लिए पारुल की इस हरकत पर