पुरुष सुदर्शन,आकर्षक और भव्य व्यक्तित्व के साथ उच्च पद पर आसीन भी हो तो न चाहते हुए भी उसमें अभिमान आ जाता है।वैसे भी लक्ष्मी,सरस्वती और शक्ति तीनों देवियाँ जिसके सिर पर एक साथ विराजमान हो जाएं, वह सामान्य नहीं रह सकता। वह बाहर ही नहीं भीतर से भी कठोर होता चला जाता है।इतना ही नहीं वह अधिक से अधिक हृदयों पर अपनी छाप भी देखना चाहता है।अपने रूप- यौवन,पद -रूतबे की आजमाइश में न जाने कितने दिलों से खेलता है और उन दिलों के टूटने का उसे जरा -सा भी अफसोस नहीं होता।अपने पौरूष की किताब में अधिकतम स्त्री- आंकड़े