नामकरण संस्कार भी बहुत धूम धाम से मनाया गया....पंडित जी ने कई नाम सुझाए पर सबको वोह पुराने से लगे किसी को पसंद नहीं आए जब बच्चे बड़े हो जायेंगे तो बहुत कोसते अपने मां बाप को कैसे नाम रखे हैं उनके सब हस्ते हैं। शेखर की मां भी गांव की पली बढ़ी थी उन्हे भी नए जमाने के नाम नही पता थे फिर सुनंदा जी ने दो नाम सुझाए मायरा और कायरा उस वक्त के लिए ये नए थे सभी को पसंद आ गए। नामकरण संस्कार बहुत ही अच्छे से संपन्न हुआ और दोनो बच्चियों के नाम मायरा और