दुख

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अंतोन चेखव 'मैं अपना दुखड़ा किसे सुनाऊँ?' शाम के धुँधलके का समय है। सड़क के खंभों की रोशनी के चारों ओर बर्फ की एक गीली और मोटी परत धीरे-धीरे फैलती जा रही है। बर्फबारी के कारण कोचवान योना पोतापोव किसी सफेद प्रेत-सा दिखने लगा है। आदमी की देह जितनी भी मुड़ कर एक हो सकती है, उतनी उसने कर रखी है। वह अपनी घोड़ागाड़ी पर चुपचाप बिना हिले-डुले बैठा हुआ है। बर्फ से ढका हुआ उसका छोटा-सा घोड़ा भी अब पूरी तरह सफेद दिख रहा है। वह भी बिना हिले-डुले खड़ा है। उसकी स्थिरता, दुबली-पतली काया और लकड़ी की तरह