सात फरवरी को हमारा रीट का एग्जाम था। जयपुर में निवास कर रहे हम अधिकतर मित्रों का एग्जाम सेंटर बाड़मेर आया था। अब समय था हमारी कर्मभूमि से विदा लेने का। वो शाम का समय हमेशा याद रहेगा जब रोहितांश सिंह मुझे और गुरुदेव को गांधीनगर रेलवे स्टेशन तक छोड़ने आये थे। विदा लेते समय उनकी आँखों में जो प्रेम और अपनापन था वो केवल चार महीनों में उत्पन्न हुआ था लेकिन यह कहना मुश्किल था कि हम केवल चार महीनों से ही एक-दूसरे को जानते है। गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर हमारे अन्य साथी पहले से मौजूद थे और कुछ हमारे