संघर्ष

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अत्यंत ही मध्यम वर्ग का रघुवर अपनी छोटी-सी दुकान से होने वाली कमाई से अपना घर परिवार अच्छी तरह से चला रहा था। किराने की छोटी-सी दुकान के दम पर ही अपनी बूढ़ी माँ, पत्नी, दो बच्चे सभी की जिम्मेदारियाँ वह उठा रहा था। रघुवर स्वभाव से बहुत ही नेक दिल इंसान था। अपने ग्राहकों से प्यार से बात करना उसकी आदत थी। उसके हँसमुख स्वभाव के कारण ही उसकी दुकान ख़ूब चलती थी। आसपास के लोग कहीं दूर किराना लेने नहीं जाते थे, रघुवर से ही ले लिया करते थे। लेकिन समय हमेशा एक जैसा कहाँ रहता है। समय