अंकिता मनीष से अलग होती है उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी। मनीष उसके चेहरे को देखता है,वह खुश था कि अंकिता को यहां आकर अच्छा लग रहा था।अंकिता वापस कमरे में आकर फ्रेश होने के लिए चली जाती है और मनीष एक बार फिर वादियों की ओर देखने लगता है। यहां का मौसम उसे एक अलग तरह का सुकून दे रहा थी वह इन सब खयालों में कितनी देर वहां खड़ा रहता है उसे पता ही नहीं चलता कि तभी अंकिता पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है "अरे तुम अभी तक यहीं पर खड़े हो!"