रुपये, पद और बलि - 2

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अध्याय 2 माणिकराज के मन में डर से घबराहट होने लगी। उनके माथे पर पसीने की बूंदे छलक आई। कंधे पर पड़े हुए तौलिए से पसीने को जल्दी-जल्दी पोंछा और 'परमानंद' को आवाज लगाई। "सर..." "एक गिलास ठंडा बरफ का पानी लेकर आओ..." परमानंद ने वाटर कूलर से एक गिलास पानी भरकर लाकर दिया। खाली गिलास को वापस देकर फिर पसीना पोछने लगे। परमानंद ने पूछा "सर आप क्यों परेशान लग रहे हो।" "छी... इस पत्र को पढ़ कर देख।" पढ़ कर देख कर परमानंद को आश्चर्य हुआ। "क्या है सर... ऐसा लिखा है ? पुलिस को फोन करके बता