प्यार के इन्द्रधुनष - 36

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- 36 - आसमान में उमड़ते-घुमड़ते बादल कभी सूरज को ढक लेते थे तो कभी सूरज बादलों की दीवार भेदकर प्रकट हो जाता था। ऐसे माहौल में कमरे में लेटना हरलाल को दुष्कर लगा तो उसने अपनी चारपाई आँगन में लगी त्रिवेणी की छाँव में डलवा ली। कई दिनों से तबीयत ठीक न रहने के कारण हरलाल खेत की ओर नहीं गया था, इसलिए उसने मामन सीरी को घर पर ही बुला लिया था। मामन उसे बता रहा था कि नरमे की बिजाई पूरी हो गई है और ट्यूबवेल की मोटर भी मैकेनिक ठीक कर गया है। दस बीघे ज़मीन