अंत... एक नई शुरुआत - 8

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ज़िंदगी प्यार का गीत है, इसे हर दिल को गाना पड़ेगा! ज़िंदगी गम का सागर भी है, हंस के उस पार जाना पड़ेगा!! मेरी माँ हमेशा यह गीत गुनगुनाया करती थीं।ये मूवी उन्होंने तब देखी थी जब मैं उनके पेट में थी और वो हमेशा मुझे यही कहा करती थीं कि मैं बिल्कुल इस मूवी की नायिका 'पद्मिनी कोल्हापुरी' की तरह ही लगती हूँ।बस मेरा रंग कुछ गहरा हो गया जो कि धीरे-धीरे हल्का पड़ जायेगा मगर वो हल्का नहीं पड़ा,माँ ...माँमममाआआआआआ.....तुम कहाँ हो माँ????मुझे अपनी माँ की जब भी बहुत ज्यादा याद आती है तब अनायास ही ये ही