रुपये, पद और बलि - 1

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मूल लेखक राजेश कुमार सारांश राजेश कुमार के तमिल उपन्यास रुपया, पद और बलि का अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा ने किया है। यह एक जासूसी और जुर्म की कहानी है। इसमें तुच्छ राजनीति में पड़ कर किसी के प्राणों को लेने में भी नहीं हिचकते । राजनीति में लोग पैसा कमाने के लिए ही आते हैं। न केवल पैसा पद पाने के लिए भी किसी की बलि चढ़ा देते हैं। राजनीति में रुपया, पद और बलि इसी की प्रमुखता है। यह बहुत ओछी राजनीति है। हत्या जुर्म की जासूसी कहानी आपको अच्छी लगेगी। आगे आप पढ़कर जानिए।   रुपये, पद