अजय एक दूध की डेरी के मालिक थे, अजय के पास बहुत सी गाय भैंस थीं। नौकर चाकर गाय भैंसों की देखरेख करते, हर सुबह दूध दुहकर वे एकत्रित करते और अजय इस दूध को बेचने से पहले उसमें पानी मिला दिया करते थे। अजय के बेटे युवान का स्वभाव बहुत ही दयालु था। वह हर सुबह अपने पिता को दूध में पानी मिलाते हुए देखता था। अजय रोज़ युवान को आवाज़ लगाकर बुलाते और शुद्ध दूध का बड़ा गिलास भरकर युवान को पीने के लिए देते थे। आज भी अजय ने युवान को दूध पीने के लिए बुलाया, “युवान चलो बेटा