एक पाँव रेल में- गुजरात कैसा लगा? रामगोपाल भावुक यूँ तो व्यथितवाद की हवा आदिकाल से ही चलती चली आई है। महर्षि वाल्मीकि के हृदय में क्रौंचवध के बाद जैसे ही संवेदना ने प्रवेश किया, रामायण जैसे महाकाव्य की रचना हो सकी। जिसके परिणाम स्वरूप प्रभु श्री राम सहजता से हमारे सामने आ सके हैं। महाभारत काल में द्रोपदी को नग्न करने की कोशिश न की जाती तो शायद न तो महाभारत का युद्ध ही होता और ना ही भगवत गीता का सृजन। ऐसे ही तथ्यों को मन में विचारते हुए मैं